पिछले काफी दिनों से राजस्थान की कांग्रेस सरकार में सियासी हलचल मची हुई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में घोषणा की है कि अब सचिन पायलट को राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह अब गोविंद सिंह डोटासरा ने ले ली है.

राजस्थान सरकार में सचिन पायलट के विपक्ष में होने के बाद पार्टी कमान ने उन्हें हटा दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब भले ही पायलट की बगावत पर लगाम लगा दी है लेकिन सियासी हलचल तो अभी देखना बाकी है.
अशोक गहलोत को मिला ‘गोविंद’ का साथ
कॉंग्रेस सरकार ने सचिन को हटाने के बाद विधायक और नेता गोविंद सिंह डोटासरा को यह कमान सौपी है. गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. अब देखना यह है को अशोक गहलोत को गोविंद का साथ मिलने के बाद सियासत में क्या बदलाव आता है.
सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 3 बार विधायक रहे गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री का पद संभाला रहे थे. अध्यक्ष का पद मिलते ही उन्होंने शिक्षा मंत्री का पद भी छोड़ दिया है. पेशे से वकील गोविंद सिंह अपने व्यवहार और शालीनता के आधार पर लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. गोविंद के पिता एक शिक्षक है और उनका खुद का चयन भी शिक्षक में ही हो गया था लेकिन उन्होंने जॉइन ही नहीं की.
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कॉंग्रेस पार्टी में गहलोत और गोविंद की काफी बनती है. गोविंद सिंह को अध्यक्ष का पद मिलते ही उनके गृह जिले और परिवारजनों में काफी उत्साह है. सीकर जिले में बीती शाम इस खुशी में आतिशबाजी भी की गई. गोविंद सिंह लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके है. गोविंद को अध्यक्ष बनाने के लिए जयपुर से लेकर दिल्ली तक सहमति बनी है. गोविंद सिंह के अलावा गणेश गोगरा विधायक को प्रांत युवा कांग्रेस और हेम सिंह शेखावत को प्रदेश सेवा दल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
सामने आई सचिन पायलट की नाराजगी
इधर सचिन पायलट भी 5 दिनों से चल रहे इस सियासी घमासान के बीच पहली बार सामने आए हैं. सचिन ने इंटरव्यू देते हुए साफ कहा कि वो भाजपा में शामिल नहीं हो रहे है. जयोतिरादित्य राव सिंधिया से मुलाकात पर भी उन्होंने बताया कि वो पिछले 6 महीने से सिंधिया से भी नहीं मिले हैं.
तो फिर सचिन ने पार्टी से बगावत क्यों कि इस पर पायलट ने बताया कि ‘राज्य पुलिस की तरफ से उन्हें एक नोटिस मिला था जिसमें उनपर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था. इस आरोप से पायलट के आत्मसम्मान को ठेस पहुची थी.
इंटरव्यू में सचिन पायलट ने तोड़ी चुप्पी
आगे पायलट ने बताया कि वो अशोक गहलोत से नाराज या गुस्सा नहीं है और न ही सरकार में कोई पद चाहते है. वो केवल अपने लोगों के लिए आगे भी इसी तरह काम करते रहेंगे. पायलट ने यह भी कहा कि चुनाव में किये वादों को वे सत्ता में आने के बाद पूरा करना चाहते थे लेकिन बाद में गहलोत के कहने पर ही वो खुद भी चल दिये.
पायलट ने कहा कि ‘ऐसे पद का क्या मतलब जहां बैठकर में जनता से किए वादे पूरे नहीं कर सकता?’ पायलट ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें और उनके कार्यकर्ताओं को राजस्थान विकास के लिए काम करने की अनुमति नहीं दी गई. आपको बता दें कि पायलट समर्थक विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा से भी मंत्री पद छीन लिया गया है.
बीते दिन गहलोत ने भी मीडिया के सामने सचिन पायलट पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 6 महिनेसे वो पार्टी के खिलाफ साजिश रच रहे थे जिनकी उन्हें खबर थी. हाल ही में भी दो बार बैठक हुई जिसमें सचिन पायलट को बुलाया गया लेकिन वो नहीं पहुंचे. इसके बाद ही पार्टी के आला कमान ने उन्हें पद से हटाने का फैसला लिया है.